Sunday, 3 January 2016

शायरी से गुजर नहीं होता ये अलग दौर है

घुंघरू टूट गए पायल के फिर भी कैसा शौर है,
घर में भी सलामत नहीं इंसान ये कैसा दौर है
रात अब ख़त्म हुई सूरज उगने वाला है,
दिलों से अँधेरा ना मिटा ये कैसा भोर है
जाले हटा दिये घर के, मेहमान आएगा कोई,
सवेरे से मुंडेरे पर काग कर रहा शौर है
बेरोजगार फिरता रहता है गलियों में ’प्रवेश’,
शायरी से गुजर नहीं होता ये अलग दौर है

Friday, 1 January 2016

गरीबी क्या है

फूटपाथ पर रहते लोगों को जब भूखे सोते देखा,
व्याकुल होकर तब मैंने सिर्फ इतना ही सोचा
कि गरीबी क्या है..........................................
भीख मांगते बच्चे जब गाली खाकर चुप हो जाते हैं,
इन्हें देखकर दिल में मेरे सिर्फ यही ख्याल आते हैं
कि गरीबी क्या है..........................................
रेहड़ी वाले मजदूरों से जब पुलिस वाले कमिशन खाते हैं,
गरीब मजदूरों के चेहरे बस यही पूछते रह जाते हैं
कि गरीबी क्या है..........................................
पेट भरने की खातिर जब औरत तन बेचने लगती है,
प्रकृति भी शायद हमसे यही पूछना चाहती है
कि गरीबी क्या है..........................................
किसी को पता हो तो मुझे भी बता दे
मैं भी बस यही जानना चाहता हूँ
कि गरीबी क्या है..........................................

Tuesday, 29 December 2015

तेरे भी काम आएगी किसी की दुआ

दर्द कब किसका सगा हुआ
इसने भी उड़ जाना है एक दिन बनकर धुंआ,
भूल जा जो हुआ सो हुआ
कभी तो तेरे भी काम आएगी किसी की दुआ |
कब तक असर करेगी ज़माने की बद्दुआ
हर कोई यहाँ से गया जो था यहाँ आया
हमेशा आग बुझने पर निकालता है धुंआ
कभी तो तेरे भी काम आएगी किसी की दुआ |
क्या हुआ गर तेरा कोई नहीं हुआ
जीतता वही है जो अकेला है जीया,
ख़ुशी पायी उसने जिसने गम को है पीया
कभी तो तेरे भी काम आएगी किसी की दुआ |
गीता ने कहा जो हुआ अच्छा हुआ,
फिर तू क्यूँ है सोच में डूबा हुआ ,
जीवन वरदान है भगवान का दिया हुआ
कभी तो तेरे भी काम आएगी किसी की दुआ |
कदम ना हटा पीछे जो आगे बढ़ा दिया,
ना डर तू दुनिया से ना कदम को तू डगमगा
तू ही है रौशनी तू ही है दीया
कभी तो तेरे भी काम आएगी किसी की दुआ |