Wednesday, 18 November 2015

मेरी मुहब्बत हुई बेअसर है

मेरी मुहब्बत हुई बेअसर है,
तेरी बाहें गैरों को मयस्सर हैं
मौत की चाहत रहती है सदा,
ये हम आ गए किस नगर हैं
पहले शीशे का आशियाना बनवाया,
अब खुद ही वो मारते पत्थर हैं
आँखों में तो सिर्फ चिंगारी है,
आग का गोला मेरे भीतर है
अंधेरों में था तो खुश था मैं,
एक जुगनू ने मुझे मारी टक्कर है
ख़ुदा बूला ले मुझे अब ऊपर तू,
मरने में मेरे बची क्या कसर है


Parvesh Kumar 

Tuesday, 17 November 2015

ज़िन्दगी हर कदम एक नया इम्तिहान होता है

खाली जेब ने सीखा दिया ज़िन्दगी जीना,
हँसते रहो चाहे गम को पडे पीना
हाथ पसारोगे तो कोई तुमको कहेगा कमीना
करो मेहनत चाहे जितना निकले पसीना
भीख मांगना भी कहाँ आसान होता है ,
ज़िन्दगी हर कदम एक नया इम्तिहान होता है.
एक महफ़िल में आ गया मुझको रोना
टूटा था उस दिन मेरा सपना सलोना,
मिला नहीं मुझे शुकून का कोई कोना
जाना मैंने तब कुछ पाकर के खोना
कुछ पाना भी कहाँ आसान होता है खाली
ज़िन्दगी हर कदम एक नया इम्तिहान होता है


Parvesh Kumar 

हम दोनों गुरु थे दोनों चेले

मेरे सफ़र में हमसफ़र “शीशा”
इसमें है एक मेरा जैसा,
चल ढाल सब एक से हैं
मेरे जैसी ही बोले भाषा
जब सफ़र शुरू किया मैंने अकेले
हम दोनों गुरु थे दोनों चेले ,
कुछ मुझे पता था कुछ उसने सिखाया
सारे खेल हमने साथ में खेले


Parvesh Kumar