Thursday, 19 November 2015

उस सांवली लड़की की याद बहुत आती है

काली रातों में जब अकेलापन लगता है,
आँखें सोती है दिल सारी रात जगता है
कमरे में जब अकेले सोने जाता हूँ,
दीवारों को मैं अपना रास्ता तकते हुए पाता हूँ
दीवारें भी जब मुझे चिड़ाती नजर आती हैं,
तब उस सांवली लड़की की याद बहुत आती है
कमरे की लाइट जब पूरी रात जलाकर रखता हूँ,
चुपके से उसका फोटो तकिये के नीचे रखता हूँ
मम्मी जब कहती है लाइट बंद तो किया कर,
कितना दुबला हो गया है पूरी नींद लिया कर,
मम्मी की जब हर बात जबरदस्ती नजर आती है
तब उस सांवली लड़की की याद बहुत आती है
सुबह उठते ही उसकी तस्वीर टटोली जाती है,
फोटो में ही उसकी गुड मोर्निंग बोली जाती है
जब कमरे में सूरज की किरण आने लगती है,
फिर यादों में उसकी सुबह सुहानी लगती है
हवाओं में भी उसकी खुशबू आने लगती है,
तब उस सांवली लड़की की याद बहुत आती है
सारी सारी रात फेसबुक पर गुजरने लगती है,
नींद पूरी नहीं होती आँखें सूजने लगती हैं,
सारा सारा दिन जब उदास उदास सा रहता हूँ,
मुझे भूख नहीं,हर बार मम्मी से जब ये कहता हूँ,
घर में फिर मेरे रिश्ते की बात चलाई जाती है,
तब उस सांवली लड़की की याद बहुत आती है
घर में जब रोज रिश्ते वाले आते हैं,
ऐसा लगता है जैसे मुझे निगलने आते हैं
मम्मी पापा जब उनसे मिलने मुझे बुलाते हैं
उनके भोले भाले चेहरे मुझे शैतान नजर आते हैं.
जब मुझे लड़की की तस्वीर दिखाई जाती है

तब उस सांवली लड़की की याद बहुत आती है.
बड़ा भाई जब कहता है शादी करके घर बसाले,
किसी का विश्वास ना कर दुनिया के है खेल निराले,
मैं कहता हूँ मुझे पहले अपना करियर बनाना है,
छोटी-छोटी खुशियों के लिए अपना सपना नहीं जलाना है,
जब घरवालों से मुझको आज़ादी मिल जाती है,
तब उस सांवली लड़की की याद बहुत आती है


Parvesh Kumar 

हर क्षेत्र में हो रही है प्रतियोगिता

देखो वक़्त ने ली कैसी करवट
सच्चाई के सामने झूठ कपडे बदल रही है,
कुंवारी लड़की हो रही है घर्भवती
शादी शुदा बच्चों की खातिर दवा खा रही है
हर क्षेत्र में हो रही है प्रतियोगिता
चाहे शिक्षा हो या खेल हो या हो वासना,
लड़के बढ़ा रहे है गर्लफ्रेंड की संख्या
और लड़कियां रोज बॉयफ्रेंड बदल रही हैं,
शादी-शुदा भी नहीं है पीछे किसी से
साथ है बीवी और नजर कही है
गर पति करना चाहे वफ़ा तो
पत्नी बेवफ़ा निकल रही हैं.
क्या होगा जब आएगी नयी पीढ़ी
और देखे और सुनेगी ऐसी बातों को,
एक हाथ में होगी बोतल एक में बीड़ी
और दिन को छोड़कर पूजेगी काली रातों को


Parvesh Kumar 

Wednesday, 18 November 2015

बात हम पर आए तो गौर करना

इन्तहा प्यार की हो जाए तो गौर करना,
बात हम पर आए तो गौर करना
हमें बूरा समझकर बेशक छोड़ देना,
पर जाने से पहले दिलपर भी गौर करना
अंधेरों की तलाश में जा रहे हो जंगल में,
वहां जुगनू टिमटिमाते हैं गौर करना
हम दूर भले तुम जाओ राजनीति में,
वहां सांप बिच्छू भी हैं गौर करना
आँखों में लालच, दिल में भ्रष्टाचार लेकर जाना,
वर्ना वहां सबसे बड़ी कुर्सी पे सांप मिलेगा गौर करना
झूठ बोलता था तो सब सीने से लगाते थे,
सच बोल गया ‘प्रवेश’ अब क्या होगा गौर करना


Parvesh Kumar