Thursday, 19 November 2015

हर क्षेत्र में हो रही है प्रतियोगिता

देखो वक़्त ने ली कैसी करवट
सच्चाई के सामने झूठ कपडे बदल रही है,
कुंवारी लड़की हो रही है घर्भवती
शादी शुदा बच्चों की खातिर दवा खा रही है
हर क्षेत्र में हो रही है प्रतियोगिता
चाहे शिक्षा हो या खेल हो या हो वासना,
लड़के बढ़ा रहे है गर्लफ्रेंड की संख्या
और लड़कियां रोज बॉयफ्रेंड बदल रही हैं,
शादी-शुदा भी नहीं है पीछे किसी से
साथ है बीवी और नजर कही है
गर पति करना चाहे वफ़ा तो
पत्नी बेवफ़ा निकल रही हैं.
क्या होगा जब आएगी नयी पीढ़ी
और देखे और सुनेगी ऐसी बातों को,
एक हाथ में होगी बोतल एक में बीड़ी
और दिन को छोड़कर पूजेगी काली रातों को


Parvesh Kumar 

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