Friday, 25 March 2016

गीले बालों को उसने झटका यूँ सलीके से



गीले बालों को उसने झटका यूँ सलीके से ,
सुलगते अरमानों पे पड़ गए ठंडे छींटें से।
संगमरमरी बदन पे डाले उसने जो मलमली कपड़े,
देखा है उसको आज हर शख्स ने अलग तरीके  से।
गुजरा है वो यहाँ से हर चीज़ गवाही देती है,
वीरान सड़कें, उजड़े गुलशन ये गुल फीके से।
सदाबहार किसको कहते हैं हमने जाना, जबसे देखे ,
ऊँचा कद , पतली गरदन , चढ़ता यौवन, नैन-नक्श तीखे से।

Thursday, 24 March 2016

पहले तुझे मेरी कद्र हो जाती



मेरे मरने से पहले तुझे मेरी कद्र हो जाती,
तो शायद थोड़ी और लम्बी मेरी उम्र हो जाती
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तेरे मेरे बीच बस दो गज का फासला है,
तू मुझको समझ लेती तो मुझको नसीब ये कब्र न होती
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रोक लेती मेरे आंसुओं को तू मेरे मरने से पहले,
मेरी कब्र पर बैठकर तू इस कदर ना रोती
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मुझको दफ़नाने से पहले गर तू सीने से लगा लेती,
मैं उठकर तेरा हो जाता तू मेरी हो जाती
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Tuesday, 22 March 2016

मौत मुझे मेरी ही जान दे गई



हर एक राह मुझे दगा दे गई,
ज़िन्दगी जाते जाते सज़ा दे गई
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आँखों में अश्कों का मंजर देखकर,
मौत भी वादा-ए-वफ़ा दे गई
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तोहफे देने का अजीब शौक था उसको,
मुझे तोहफे में दो गज जगह दे गई
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ना रो सकूं ना सो सकूं मैं,
एक ऐसा वीरान लम्हा दे गई
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धुआं धुआं हो गए अरमान मेरे,
कब्र मेरी ऐसे शमशान दे गई
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खून के सागर अब तेज़ाब हो गए,
मौत मुझे मेरी ही जान दे गई
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