Wednesday, 16 December 2015

रीना, मीना या कटरीना

तुझे देखकर मेरा दिल रुक गया
प्यार में तेरे मेरा सर झुक गया
तेरी चाल में नहीं कोई खराबी
देखकर मैं तो हुआ शराबी
कमर तेरी मस्त लचके
देखकर मेरा दिल मचले
सीना तेरा मुझे करे दीवाना
मैं गाऊं तेरे प्यार में गाना
तेरी जुल्फों में मेरा दिल अटका
ये खाए रुक-रुक कर झटका
स्माइल पर तेरी मेरा दिल फिसला
नीचे से ऊपर तक मेरा शरीर मचला
तेरे “
whole  फिगर ने किया मुश्किल जीना
बता तेरा नाम है क्या
रीना, मीना या कटरीना


मुझे बसंती की तरह नचाएंगे

चमत्कार किए धरती पर
ख़ुदा ने देखो बेशुमार,
कोई ज़िन्दगी भर पैदल चलता है
कोई बचपन से चलाता है कार
कुछ वक़्त के लिए ही सही
प्रभु मेरी भी सुन लो एक पुकार,
लड़की और लड़कों की दुनिया हो अलग
बस इतना सा कर दो चमत्कार |
लड़कों को कमी महसूस हो प्यार की
पर लड़कियां वहाँ रहे बेफिक्र,
मैंने मांगी थी ये दुआ आपसे
इस बात का ना करना तुम जिक्र,
वरना सब लड़के इकठ्ठे होकर
मुझे बसंती की तरह नचाएंगे,
गर मना किया मैंने तो
मेरी हड्डियों का सब सुरमा बनायेंगे |
मुझे नफरत नहीं है प्रभु किसी से
मैं लड़कियों की इज्जत करवाना चाहता हूँ,
पर रोज बढ़ती दुष्कर्मों की संख्या से
मेरा दिल डरता है और मैं घबराता रहता हूँ
मनुष्य के कानून तो सब फ़ैल हो गए
तू ही कुदरत का कोई कानून बना दे,
जो भी तोड़े तेरे कानून को फिर
तुम्हे जो लगे जायज उसे वो सज़ा दे


Tuesday, 15 December 2015

बेवफ़ा को कैसे मैं भूला पाउँगा,

बेवफ़ा को कैसे मैं भूला पाउँगा,
दर्द बढ़ेगा तो अब कहाँ मैं जाऊंगा
जला दिया अपना घर अपने ही हाथों से,
दिन ढलते ही मयखाने को अब जाऊंगा
आश्ना थे जो कभी अजनबी से रहते हैं,
कैसे मैं अब यहाँ नए रिश्ते बनाऊंगा
ना आना तू भी अब मेरी अयादत को,
पिऊंगा शराब और अब ग़ज़ल मैं गाऊंगा
अश्कों का समंदर सुखा लेने दो मुझको,
बाद उसके जाम को मैं हाथ ना लगाऊंगा
मेरी लाश को बेवफ़ा से दूर ही रखना यारों,
जन्नत में, मैं मयखाना कहाँ से लाऊंगा
‘प्रवेश’ तो चला दूर इस दुनिया से,
अब तो ख़ुदा को अपनी मोहब्बत के किस्से सुनाऊंगा