Friday, 18 December 2015

सूर्ख जोड़े में वो सुहागन बनी है

मेरे महबूब की डोली उठने लगी है,
मोहब्बत की दुनिया लुटने लगी है,
साथ ली थी जो कभी हमने साँसे,
एक एक करके वो सब घुटने लगी हैं |
देखी है मैंने मुस्कान उसके रुख पर,
मेरी अब धड़कन रुकने लगी है,
बसायेगी घर वो जाकर किसी गैर का,
मेरी तो दुनिया ही उजड़ने लगी है |
ले चलो अब मुझको दूर यहाँ से,
कानों में शहनाई चुभने लगी है
मयखाना कहाँ है कोई तो बता दो,
दिल में मेरे आग जलने लगी है |
कर लो तैयारी मेरे मरने की लोगो,
जिस्म से मेरे जान निकलने लगी है,
सूर्ख जोड़े में वो सुहागन बनी है,
इधर मेरे अरमानों की अर्थी जलने लगी है |
उसको तुम खुशियाँ लेने दो यारों,
‘प्रवेश’ की हस्ती मिटने लगी है |

गुनाह हो गया है अब मोहब्बत करना

दर्द ने मेरे मुझे कैसा सिला दिया,
किया बर्बाद मुझे ख़ाक में मिला दिया
खुशियों के ख्वाब बुनता था मैं,
मुझे गम के सागर में डूबो दिया
वफ़ा को ही अंजाम समझा था मैंने,
क्या खता हुई जो मुझको दगा दिया
आरजू क्या क्या दिल में सजा रखी थी,
मुझे मेरी गरीबी का एहसास दिला दिया
‘प्रवेश’ गुनाह हो गया है अब मोहब्बत करना,
ये हक़ भी सिर्फ अमीरों को दिया गया

Thursday, 17 December 2015

तो ऐसा दिन भी आएगा

मैं ये सोच-सोचकर हूँ परेशान,
आखिर कब जाऊँगा मैं शमशान,
क्योंकि दुनिया से मैं छिक गया
यहाँ सबका चरित्र बिक रहा
कलयुग ने की है ऐसी ठिठोली
किसी का सिरदर्द,
किसी के लिए सिरदर्द की गोली
सब सब पैसे के पीछे भाग रहे
चाय पी-पीकर सुबह जाग रहे,
पहले आदमी उठते ही पानी पीता था,
इसीलिए तो सो साल तक जीता था
पहले लड़की को देवी कहते थे,
आज उसका देवत्व भी दाव पर है,
पहले धन-दौलत ही बिकता था
आज सबका चरित्र भी दाव पर है
पैसे से ही दिल मिलता है
कोई मुल्य नहीं चरित्र का,
पैसे के लिए तन बिकता है
कुछ भी नहीं है आज दरिद्र का
आज सब पैसे को पूजते हैं,
पैसे को ही मानते भगवान्,
इसलिए तो दुखों से झुझते हैं
तभी तो पैसे वालें है बदनाम
अगर लोग यूँ ही पैसे के पीछे पड़े रहे
अपनी-अपनी जिद्दों पर अड़े रहे
तो ऐसा दिन भी आएगा

आज भाई भाई को मरता है,
फिर बेटा माँ-बाप पर तलवार चलाएगा
आज आदमी पशु को खाता है,
फिर पशु आदमी को खायेगा
जब ऐसा दिन आएगा
आदमी अपनी करनी पर पछतायेगा
पर कर कुछ नहीं पायेगा
सिर्फ तड़प तड़प कर मर जायेगा
अभी भी वक़्त है जाग जाओ,
पैसे के लालच का त्याग करो,
सबको प्यार से गले लगाओ
मनुष्य से ही प्यार करो
हिन्दू धर्म की लाज बचाओ