मेरे महबूब की डोली
उठने लगी है,
मोहब्बत की दुनिया लुटने लगी है,
साथ ली थी जो कभी हमने साँसे,
एक एक करके वो सब घुटने लगी हैं |
देखी है मैंने मुस्कान उसके रुख पर,
मेरी अब धड़कन रुकने लगी है,
बसायेगी घर वो जाकर किसी गैर का,
मेरी तो दुनिया ही उजड़ने लगी है |
ले चलो अब मुझको दूर यहाँ से,
कानों में शहनाई चुभने लगी है
मयखाना कहाँ है कोई तो बता दो,
दिल में मेरे आग जलने लगी है |
कर लो तैयारी मेरे मरने की लोगो,
जिस्म से मेरे जान निकलने लगी है,
सूर्ख जोड़े में वो सुहागन बनी है,
इधर मेरे अरमानों की अर्थी जलने लगी है |
उसको तुम खुशियाँ लेने दो यारों,
‘प्रवेश’ की हस्ती मिटने लगी है |
मोहब्बत की दुनिया लुटने लगी है,
साथ ली थी जो कभी हमने साँसे,
एक एक करके वो सब घुटने लगी हैं |
देखी है मैंने मुस्कान उसके रुख पर,
मेरी अब धड़कन रुकने लगी है,
बसायेगी घर वो जाकर किसी गैर का,
मेरी तो दुनिया ही उजड़ने लगी है |
ले चलो अब मुझको दूर यहाँ से,
कानों में शहनाई चुभने लगी है
मयखाना कहाँ है कोई तो बता दो,
दिल में मेरे आग जलने लगी है |
कर लो तैयारी मेरे मरने की लोगो,
जिस्म से मेरे जान निकलने लगी है,
सूर्ख जोड़े में वो सुहागन बनी है,
इधर मेरे अरमानों की अर्थी जलने लगी है |
उसको तुम खुशियाँ लेने दो यारों,
‘प्रवेश’ की हस्ती मिटने लगी है |
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