Tuesday, 29 December 2015

तेरे भी काम आएगी किसी की दुआ

दर्द कब किसका सगा हुआ
इसने भी उड़ जाना है एक दिन बनकर धुंआ,
भूल जा जो हुआ सो हुआ
कभी तो तेरे भी काम आएगी किसी की दुआ |
कब तक असर करेगी ज़माने की बद्दुआ
हर कोई यहाँ से गया जो था यहाँ आया
हमेशा आग बुझने पर निकालता है धुंआ
कभी तो तेरे भी काम आएगी किसी की दुआ |
क्या हुआ गर तेरा कोई नहीं हुआ
जीतता वही है जो अकेला है जीया,
ख़ुशी पायी उसने जिसने गम को है पीया
कभी तो तेरे भी काम आएगी किसी की दुआ |
गीता ने कहा जो हुआ अच्छा हुआ,
फिर तू क्यूँ है सोच में डूबा हुआ ,
जीवन वरदान है भगवान का दिया हुआ
कभी तो तेरे भी काम आएगी किसी की दुआ |
कदम ना हटा पीछे जो आगे बढ़ा दिया,
ना डर तू दुनिया से ना कदम को तू डगमगा
तू ही है रौशनी तू ही है दीया
कभी तो तेरे भी काम आएगी किसी की दुआ |


Sunday, 27 December 2015

करता रहा वफ़ा मैं तमाम उम्र

करता रहा वफ़ा मैं तमाम उम्र,
मोहब्बत का उसपर हुआ ना असर,
इश्क़ को उसने खेल समझ रखा था,
मेरे दर्द का मैंने किसी से ना किया जिक्र
आधी ज़िन्दगी बीती उसे अपना बनाने में,
अब उसे भुलाने में गुजरेगी बाकी उम्र,
मौत के बाद मुझे मिल जाएगी जन्नत ‘प्रवेश’,
बस खुदवा देना तुम बेवफ़ा से मेरी कद्र

क्या कर गया मैं इश्क़ की धुन में

रंगे है हाथ मेरे, मेरे ही खून से,
कर गया क़त्ल अपना ही जूनून में
बेवफाई के पत्थरों ने जख्मी किया,
रहना चाहता था वफ़ा के संग सुकून से,
जान से भी ज्यादा प्यार है जिनसे मुझे,
वो अब रहते हैं प्यासे मेरे खून के
कातिलों की बस्ती में आ गया खुद ही,
क्या कर गया मैं इश्क़ की धुन में
अपने खून से माँग भरने की ख्वाहिश थी जिनकी,
देख लेना एक दिन नहायेंगे वो मेरे खून में