Sunday, 27 December 2015

करता रहा वफ़ा मैं तमाम उम्र

करता रहा वफ़ा मैं तमाम उम्र,
मोहब्बत का उसपर हुआ ना असर,
इश्क़ को उसने खेल समझ रखा था,
मेरे दर्द का मैंने किसी से ना किया जिक्र
आधी ज़िन्दगी बीती उसे अपना बनाने में,
अब उसे भुलाने में गुजरेगी बाकी उम्र,
मौत के बाद मुझे मिल जाएगी जन्नत ‘प्रवेश’,
बस खुदवा देना तुम बेवफ़ा से मेरी कद्र

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