Wednesday, 27 January 2016

दिल मेरा ख़ाक का ढेर हो गया



रोना छोड़ दिया अब मयखाने में जाता हूँ,
मैकदे में जाकर अपने सारे गम भूलाता हूँ
,
जब तेरी यादों के मौसम आते हैं
मैं जमके फिर जाम पे जाम लगता हूँ
,
भीड़ में भी कोई अपना नज़र नहीं आता,
अब दीवारों को मैं अपने किस्से सुनाता हूँ
,
रौशनी में तेरी तस्वीर से बाते होती हैं
अंधेरों में तेरे नाम की आवाज़े लगाता हूँ
,
दिल मेरा ख़ाक का ढेर हो गया ‘प्रवेश’
अब अपनी राख को हवाओं में उडाता हूँ
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Tuesday, 26 January 2016

तू होती गर पास



मर ना सके, जिंदा भी रह ना सके
हाले-दिल अपना हम किसी से कह ना सके,
बज्मों में मुस्कुराते हुए दिन बिता दिए
मगर रातों में हिज्र के गम सह न सके
,
तू होती गर पास तो नींद आ जाती हमें
तेरे बिना मगर हम कभी भी सो न सके
,
अपने दर्द को दबा के रख लिया सीने में
तुझे खुश देखा तो अपने गम पे रो ना सके
,
एक उम्मीद है अब भी तेरे लौट आने की,
बस इसी इन्तजार में हम मौत के भी हो ना सके
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Friday, 22 January 2016

ये इश्क़ की राह है सनम बहुत पथरीली



अश्कों की बूंदों से दिल की जमीं हो गई गीली,
ये इश्क़ की राह है सनम बहुत पथरीली
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दिल से दिल मिला तो सारे रिश्ते छूट गए
दुनिया भर की कसमे और सारे बंधन टूट गए,
दूर से देखी थी ये दुनिया तब थी ये चमकीली,
अश्कों की बूंदों से दिल की जमीं हो गई गीली |
अब टूट चुके हैं और बस तन्हा रहते हैं,
उल्फ़त की सजा में फुरकते-गम सहते हैं,
हिज्र का मौसम रहता है नहीं होती यहाँ तबदीली...
अश्कों की बूंदों से दिल की जमीं हो गई गीली |