रोना छोड़ दिया अब
मयखाने में जाता हूँ,
मैकदे में जाकर अपने सारे गम भूलाता हूँ,
जब तेरी यादों के मौसम आते हैं
मैं जमके फिर जाम पे जाम लगता हूँ,
भीड़ में भी कोई अपना नज़र नहीं आता,
अब दीवारों को मैं अपने किस्से सुनाता हूँ,
रौशनी में तेरी तस्वीर से बाते होती हैं
अंधेरों में तेरे नाम की आवाज़े लगाता हूँ,
दिल मेरा ख़ाक का ढेर हो गया ‘प्रवेश’
अब अपनी राख को हवाओं में उडाता हूँ |
मैकदे में जाकर अपने सारे गम भूलाता हूँ,
जब तेरी यादों के मौसम आते हैं
मैं जमके फिर जाम पे जाम लगता हूँ,
भीड़ में भी कोई अपना नज़र नहीं आता,
अब दीवारों को मैं अपने किस्से सुनाता हूँ,
रौशनी में तेरी तस्वीर से बाते होती हैं
अंधेरों में तेरे नाम की आवाज़े लगाता हूँ,
दिल मेरा ख़ाक का ढेर हो गया ‘प्रवेश’
अब अपनी राख को हवाओं में उडाता हूँ |
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