Wednesday, 24 February 2016

ईश्वर की छाती के घाव हैं मनुष्य

         एक झूठी कहानी है। मैंने सुना है कि ईश्वर दूसरे महायुद्ध के बाद बहुत परेशान हो गया। ईश्वर तो तभी से परेशान है, जब से उसने आदमी को बनाया। जब तक आदमी नहीं था, बड़ी शांति थी दुनिया में। जब से आदमी को बनाया, तब से ईश्वर बहुत परेशान है।
सुना तो मैंने यह है कि तबसे वह ठीक से सो नहीं सका बिना नींद की दवा लिए। सो भी नहीं सकता। आदमी सोने दे तब न! आदमी खुद न सोता है, न किसी और को सोने देता दे। और इतने आदमी है कि ईश्वर को सोने कैसे देंगे! इसलिए आदमी को बनाने के बाद ईश्वर ने फिर और कुछ नहीं बनाया। बनाने का काम ही बंद कर दिया। इतना घबड़ा गया होगा कि बस अब क्षमा चाहते हैं, अब आगे बनाना भी ठीक नहीं। दूसरे महायुद्ध के बाद वह घबड़ा गया होगा।
ऐसे तो इतने युद्ध हुए कि ईश्वर की छाती पर कितने घाव पड़े होंगे कि कहना मुश्किल है। सबसे मजा तो यह है कि हर घाव पहुंचाने वाला ईश्वर की प्रार्थना करके ही घाव पहुंचाता है। और मजा तो यह है कि हर युद्ध करने वाला ईश्वर से प्रार्थना करता है कि हमें विजेता बनाना। चर्चों में घंटियां बजाई जाती हैं, मंदिरों में प्रार्थनायें की जाती हैं,युद्धों में जीतने के लिए! पोप आशीर्वाद देते हैं, युद्धों में जीतने, के लिए! ईश्वर की छाती पर जो घाव लगते होंगे, उन घावों का हिसाब लगाना मुश्किल है।
तीन हजार साल के इतिहास में पंद्रह हजार युद्ध और आगे का पीछे का इतिहास तो पता नहीं है। हम यह मान नहीं सकते कि उसके पहले आदमी नहीं लड़ता रहा होगा। लड़ता ही रहा होगा। जब तीन हजार वर्षों में पंद्रह हजार युद्ध करता है आदमी, प्रति वर्ष पांच युद्ध करता है तो ऐसा मानना बहुत मुश्किल है कि वह शांत रहा होगा। इतना ही है कि उसके पहले का इतिहास हमें शात नहीं। दूसरे महायुद्ध के बाद ईश्वर घबड़ा गया। क्योंकि पहले महायुद्ध में साढ़े तीन करोड़ लोगों की हत्या हुई! दूसरे महायुद्ध में हत्या की संख्या साढ़े सात करोड़ पहुंच गई। क्या हो गया आदमी को?
 ओशो

Tuesday, 23 February 2016

सो पत्थर जैसा पड़ा रहा



कितना रोका खुद को मुठ्ठी बाँधें खड़ा रहा
दिल बहुत चाहा पर मौन साधे खड़ा रहा।
मुफ़लिसी दूकान से मजबूर होकर चली गई
वो बच्चा रोता रहा खिलौने को तरसता रहा।
नदी बहती हुई आई और बहती हुई चली गई,
उसने कुछ सोचा ना था सो पत्थर जैसा पड़ा रहा।

Monday, 22 February 2016

बड़ी वफा से चाहा था जिसको



बड़ी वफा से चाहा था जिसको
आज उस मोहब्बत ने हमको ठुकरा दिया,
क्या अंजाम होगा मेरी चाहत का
जिसपर किया भरोसा उसीने गुमराह किया
,
उसके तसुव्वर में रहते थे हर वक़्त हम
बस इतना सा हमने गुनाह किया
,
दुआ करते थे जिसके आबाद होने की
उसी ने आज हमको बर्बाद किया
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