Sunday, 6 December 2015

हौसलें हो बुलंद वो कब बर्बाद होते हैं

फकीरों की आँखों में भी ख्वाब होते हैं,
मगर पूरे बड़ी मुद्दतों के बाद होते हैं
होते हैं सितम भी अक्सर मुफलिसों पर,
हौसलें हो बुलंद वो कब बर्बाद होते हैं
कब तक करोगे तुम कोशिश मुझे हराने की,
अकेले दौड़ने वाले बोलो कब पीछे रहते हैं
आया था एक बाज़ तोड़ गया कुछ घोंसले,
मगर चिड़िया के घर तो अब भी आबाद रहते हैं
तुम रहते हो परेशान बस एक ही कारण है,
तुम नाशाद रहते हो हम शाद रहते हैं



Saturday, 5 December 2015

कभी मैं हाँ कहता रहा कभी वो ना कहते रहे

अपनी-अपनी जिदों पर अड़कर
नंगे पैर हम तलवार पर चलते रहे,
किसी के मुँह से आह तक ना निकली
दोनों के पैरों से लहू निकलते रहे
अपनी-अपनी धुन में थे दोनों
एक दुसरे को दर्द देकर रोते रहे,
किसी का हाथ ना उठा आंसू पोछने को
दोनों की आँखों से झरने बहते रहे,
कभी मैं हाँ कहता रहा
कभी वो ना कहते रहे


Friday, 4 December 2015

दुआ है सब ठीक हो जाए

सोचा था ज़िन्दगी जियेंगे पर
ज़िन्दगी काटनी पड़ रही है,
मेरी ही ज़िन्दगी मेरे
अरमानों संग लड़ रही है
जवानी का हर खेलूँ
कितने अरमान थे दिल में मेरे,
तन्हाई और मज़बूरी ने अब
ले लिए हैं सात फेरे,
तन्हाई और मज़बूरी अब तो
हर वक़्त साथ में रहती हैं,
कभी मज़बूरी हमें भगाती है तो
कभी तन्हाई गले लगाती है
पैसों की अंधी दौड़ में
यारों दोस्तों के साथ छुट गए,
अरमान दिल में मरने लग गए
हम अन्दर ही अन्दर घुट गए |
जान पहचान सब खत्म हुई
रिश्ते नाते बदबूदार हो गए,
गलती करके भी है गर्दन ऊँची
देखो हम कितने खुद्दार हो गए
नई पीढ़ी को होश नहीं
हर वक़्त नशे में रहती है,
उनके लिए तो गंगा जमुना
दारु की बोतल में बहती है
शर्म हया सब खत्म हो गई
कलयुग के इस काल में,
दुआ है सब ठीक हो जाए
आने वाले नए साल में |