Friday, 11 December 2015

शुरू हुआ नेता का भाषण

शुरू हुआ नेता का भाषण
भीड़ में था बच्चों-बूढों का मिश्रण,
नेता मंच पर खड़े हुए
दोनों हाथ में माइक लिए
नेता ने शुरू किया कहना
बोले भाइयों भाइयों भाइयों......
दुसरे नेता ने टांग अड़ाई
बोले अब आगे कह दो बहना
पहला नेता बोला
मैं युवा और कुंवारा हूँ
बहन कहने से सबका दिल टूटेगा
फिर मैं वोट कैसे लूटूँगा
दूसरा नेता बीच में बोला
ये है कलयुग का मेला
यही रस्म हर नेता को निभाना है,
बहन बोलकर ही वोट मिलती है
क्योंकि बड़ा बेहनचोद ज़माना है


अगर हो तुमको स्वस्थ जीना

हुक्के की गुड़-गुड़ सुन
जी मेरा ललचाये,
इसको पीने की खातिर
दिल आतुर हो जाये
गुड़-गुड़ सुनते ही दिल बोले
चल-चल चल हुक्का भरले
घर में हुक्का मेरे पास नहीं है
चल दोस्त के पास यही सही है
दोस्त को जाकर ये समझाऊ
चल मिलके घूट लगाएँ,
दोस्त बोला पापा मेरे घर पर हैं
हुक्का भंरू तो डंडा मेरे सर पर है
निराश होकर घर पर आऊँ
अपने दिल को ये समझाऊँ
हुक्का पीना बुरी बला है,
ये बीमारी कैंसर से भरा है
दिल मेरा ये बात समझ जाए
हुक्के को न कहकर मुझको बचाए
दोस्तों तुम भी तम्बाकू मत पीना
अगर हो तुमको स्वस्थ जीना


दोनों के दिल धड़क रहे थे

एक दूसरे को लगे खींचने
आँखों ही आँखों में,
प्रेम कहानी शुरू हुई
बातों ही बातों में,
छुआ एक-दुसरे को दोनों ने
हाथों ही हाथों में
रस था होंठों पर
होंठों से लग गए पीने
दोनों के दिल धड़क रहे थे
साथ धड़क रहे थे सीने
दो पहाड़ों के बीच से
युवक नीचे लगा उतरने,
नीचे था एक पवन झरना
युवक उसमे लगा तैरने
युवती का दिल काँप रहा था
युवक को लगी वो रोकने,
वो भी था अपनी अकड में
युवती को लग गया डांटने
वो भी जब ना मानी तो
युवक को गुस्सा लगा आने,
उसने आव देखा ना ताव
लग गया अपनी अकड़ निकालने
गुस्सा जब उसका शांत हुआ
तब वो लग गया मुरझाने,
युवती को आया गुस्सा
अब वो भी लग गई अकड़ने
युवक बेचारा क्या करता
था वो मुरझाया मुरझाया,
युवतियों को तो वो भी ना हरा पाया
जिसने है स्रष्टि को बनाया