Sunday, 7 February 2016

दीवार पर मेरा फोटो धुंधला हो गया


मालुम नहीं मैं इतना पीछे कैसे रह गया
शायद समंदर में लहरों की उलट दिशा बह गया
,
मंजिल पाने की खातिर संघर्ष के साथ रहा
मंजिल कहीं खो गई बस संघर्ष ही रह गया
,
वादों पे डटा रहा, धोखों से कभी डरा नहीं
सितमगर चला गया बस वादा ही रह गया
,
रात सपने में देखी थी एक धुंधली तस्वीर कहीं
सुबह देखा दीवार पर मेरा फोटो धुंधला हो गया
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Saturday, 6 February 2016

ईमारत ही ईमारत चारों ओर है


ईमारत ही ईमारत चारों ओर है
कोई बताये इंसानों का बसेरा किस ओर है |
भोली भाली सूरत देखी इंसान अच्छे लगे
दिलों में देखा सब के सब चोर हैं |
सुनसान जगह पर भी रहने नहीं देता
ना जाने ये अन्दर कैसा शौर है |
मौत नहीं आ सकती मुझे मंजिल से पहले
साँसों से मेरी ज़िन्दगी की बंधी डोर है |
कैसे माँगू भगवान् से अपने लिए कुछ
जिसको तुम भगवान् कहते ये भगवान् और है |

Thursday, 4 February 2016

मयखाना, शराब और मौत मेरी दवाई है



खुशियाँ मेरी मुझसे मुह मोड़ कर गई
बीच सफ़र में अकेला मुझे छोड़कर गई
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जिसने किया था वादा मुझसे सात जन्मो का
वो मुझसे इसी जन्म में रिश्ता तोड़ कर गई
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टूट गए अब मेरे ख्वाबों के शीश-महल
जाते जाते गम से मेरा नाता जोड़ कर गई
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मयखाना, शराब और मौत मेरी दवाई है
इन्ही आसरों के सहारे वो मुझे छोड़ कर गई
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