Thursday, 4 February 2016

मयखाना, शराब और मौत मेरी दवाई है



खुशियाँ मेरी मुझसे मुह मोड़ कर गई
बीच सफ़र में अकेला मुझे छोड़कर गई
|
जिसने किया था वादा मुझसे सात जन्मो का
वो मुझसे इसी जन्म में रिश्ता तोड़ कर गई
|
टूट गए अब मेरे ख्वाबों के शीश-महल
जाते जाते गम से मेरा नाता जोड़ कर गई
|
मयखाना, शराब और मौत मेरी दवाई है
इन्ही आसरों के सहारे वो मुझे छोड़ कर गई
|

No comments:

Post a Comment