ईमारत ही ईमारत चारों ओर है
कोई बताये इंसानों का बसेरा किस ओर है |
भोली भाली सूरत देखी इंसान अच्छे लगे
दिलों में देखा सब के सब चोर हैं |
सुनसान जगह पर भी रहने नहीं देता
ना जाने ये अन्दर कैसा शौर है |
मौत नहीं आ सकती मुझे मंजिल से पहले
साँसों से मेरी ज़िन्दगी की बंधी डोर है |
कैसे माँगू भगवान् से अपने लिए कुछ
जिसको तुम भगवान् कहते ये भगवान् और है |
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