मालुम नहीं मैं इतना पीछे कैसे रह गया
शायद समंदर में लहरों की उलट दिशा बह गया,
मंजिल पाने की खातिर संघर्ष के साथ रहा
मंजिल कहीं खो गई बस संघर्ष ही रह गया,
वादों पे डटा रहा, धोखों से कभी डरा नहीं
सितमगर चला गया बस वादा ही रह गया,
रात सपने में देखी थी एक धुंधली तस्वीर कहीं
सुबह देखा दीवार पर मेरा फोटो धुंधला हो गया |
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