Friday, 26 February 2016

आया था तूफ़ान सिर्फ बचा हुआ हूँ मैं



अब जिंदा हूँ लेकिन मरा हुआ हूँ मैं
मुहब्बत के नाम से अब डरा हुआ हूँ मैं
,
सहरा में बिखरे पड़े है दिल के टुकड़े
गम-ए-तन्हाई से अब भरा हुआ हूँ मैं
,
मेरे सब अपने मुझे भूला चुके हैं यहाँ
बनके लाश अब दरिया में डूबा हुआ हूँ मैं
,
इससे ज्यादा बदकिस्मती और क्या होगी
आया था तूफ़ान सिर्फ बचा हुआ हूँ मैं
,
खुद को भूल गया मगर उसे ना भूल सका
उसको भुलाने में कब से लगा हुआ हूँ मैं
,
आएगी जब मौत तो आज़ाद हो जायेगा ‘प्रवेश’
इसी कोशिश में कब से ज़हर पीने लगा हुआ हूँ मैं
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Thursday, 25 February 2016

जब अपने अपनों से खार रखते हैं



जब अपने अपनों से खार रखते हैं
दिलो की आग से अपने ही घर जलते हैं
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जो तोड़ चुके हैं दिल मेरा
उन्ही से हम अब भी प्यार करते हैं
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बरसे हैं मेरे आँगन में अंगारे
उनपर पैर रखकर हम रस्ता पार करते हैं
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पड़ गए हैं तलवों में छाले अब,
हम उनको भी प्यार में शुमार करते हैं
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कोई इल्जाम ना लगाये बेवफाई का उसपर,
इसलिए सनम बेवफ़ा से भी हम प्यार करते हैं
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Wednesday, 24 February 2016

गाँधी नोट पे आया मजबूरी का नाम हो गया


ऐ मेरे प्यारे भारत ये क्या तुझे हो गया
माँ है मुसीबत में और बेटा चैन से सो गया
,
बहूत मनाई खुशियाँ तूने आज़ादी की
आज अपनों के हाथों ही तू गुलाम हो गया
,
इंसानों ने इंसानियत का सौदा कर लिया
इस कलयुग में ज़मीर भी सबका सो गया
,
इंसानों का चरित्र चरित्रहीन हुआ, और
इज्जत का भी चीरहरण हो गया
,
अच्छा हुआ नहीं रहे आज़ाद और भगत अब
गाँधी नोट पे आया मजबूरी का नाम हो गया
,
क्या हो सकता है उस देश का ‘प्रवेश’
युवा भी जिस देश का गुमराह हो गया
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