अब जिंदा हूँ लेकिन
मरा हुआ हूँ मैं
मुहब्बत के नाम से अब डरा हुआ हूँ मैं,
सहरा में बिखरे पड़े है दिल के टुकड़े
गम-ए-तन्हाई से अब भरा हुआ हूँ मैं,
मेरे सब अपने मुझे भूला चुके हैं यहाँ
बनके लाश अब दरिया में डूबा हुआ हूँ मैं,
इससे ज्यादा बदकिस्मती और क्या होगी
आया था तूफ़ान सिर्फ बचा हुआ हूँ मैं,
खुद को भूल गया मगर उसे ना भूल सका
उसको भुलाने में कब से लगा हुआ हूँ मैं,
आएगी जब मौत तो आज़ाद हो जायेगा ‘प्रवेश’
इसी कोशिश में कब से ज़हर पीने लगा हुआ हूँ मैं |
मुहब्बत के नाम से अब डरा हुआ हूँ मैं,
सहरा में बिखरे पड़े है दिल के टुकड़े
गम-ए-तन्हाई से अब भरा हुआ हूँ मैं,
मेरे सब अपने मुझे भूला चुके हैं यहाँ
बनके लाश अब दरिया में डूबा हुआ हूँ मैं,
इससे ज्यादा बदकिस्मती और क्या होगी
आया था तूफ़ान सिर्फ बचा हुआ हूँ मैं,
खुद को भूल गया मगर उसे ना भूल सका
उसको भुलाने में कब से लगा हुआ हूँ मैं,
आएगी जब मौत तो आज़ाद हो जायेगा ‘प्रवेश’
इसी कोशिश में कब से ज़हर पीने लगा हुआ हूँ मैं |
No comments:
Post a Comment