Wednesday, 24 February 2016

गाँधी नोट पे आया मजबूरी का नाम हो गया


ऐ मेरे प्यारे भारत ये क्या तुझे हो गया
माँ है मुसीबत में और बेटा चैन से सो गया
,
बहूत मनाई खुशियाँ तूने आज़ादी की
आज अपनों के हाथों ही तू गुलाम हो गया
,
इंसानों ने इंसानियत का सौदा कर लिया
इस कलयुग में ज़मीर भी सबका सो गया
,
इंसानों का चरित्र चरित्रहीन हुआ, और
इज्जत का भी चीरहरण हो गया
,
अच्छा हुआ नहीं रहे आज़ाद और भगत अब
गाँधी नोट पे आया मजबूरी का नाम हो गया
,
क्या हो सकता है उस देश का ‘प्रवेश’
युवा भी जिस देश का गुमराह हो गया
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