ऐ मेरे प्यारे भारत ये क्या तुझे हो गया
माँ है मुसीबत में और बेटा चैन से सो गया,
बहूत मनाई खुशियाँ तूने आज़ादी की
आज अपनों के हाथों ही तू गुलाम हो गया,
इंसानों ने इंसानियत का सौदा कर लिया
इस कलयुग में ज़मीर भी सबका सो गया,
इंसानों का चरित्र चरित्रहीन हुआ, और
इज्जत का भी चीरहरण हो गया,
अच्छा हुआ नहीं रहे आज़ाद और भगत अब
गाँधी नोट पे आया मजबूरी का नाम हो गया,
क्या हो सकता है उस देश का ‘प्रवेश’
युवा भी जिस देश का गुमराह हो गया |
No comments:
Post a Comment