Friday, 8 April 2016

ज़िन्दगी बेवजह हुई है प्यार करते करते


ज़िन्दगी बेवजह हुई है प्यार करते करते
मेरी हस्ती खत्म हुई है तुमपर मरते मरते
,
खता बस इतनी हुई के इश्क़ किया
अपनी इज्जत गवाई है हमने इश्क़ करते करते
,
दौलत के बिन अधूरी है मोहब्बत
समझ लेते गर इसे तो यूँ ना रोते
,
कहाँ हो आंसुओं को मोती कहने वालो
मैं हो गया हूँ फ़कीर रोते रोते
,
जागकर भी खो दिया है सबकुछ
देखना है क्या मिलेगा रोते रोते
,
अब थक जाता हूँ बैठकर भी मैं
पहले रुकता न था छालों में चलते चलते
,
इश्क़ करो तो सोच समझकर करना
वरना जीना पड़ेगा खुद को कोसते कोसते
,
ज़िन्दगी बेवजह हुई है प्यार करते करते
मेरी हस्ती खत्म हुई है तुमपर मरते मरते
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Wednesday, 6 April 2016

अजीब शख्स है जो हमसे प्यार करता है



अजीब शख्स है जो हमसे प्यार करता है
वरना ऐसे भी कोई किसी का इन्तजार करता है
,
देखकर जिसे हम अब फेरते है निगाहें
वो हमारे इश्क़ में जीता है न मरता है,
बेवफ़ा नहीं हैं, हम भी हालात के मारे हैं
दिल में हमारे भी अब दर्द सा रहता है
,
वो उधर बैचेन है खातिर हमारे ही
इधर हमारा दिल परेशां-परेशां रहता है
,
तडपना नसीब है हमारा, ऐसे ही रहने दो
मिलने के लिए शायद मरना पड़ता है
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Tuesday, 5 April 2016

मगर जोड़ के निशान बहुत हैं


अभी मेरे दिल में प्यार के अरमान बहुत हैं ,
ये अलग बात के हम इश्क़ से परेशान बहुत हैं।
बचपन में सुना था कि यहाँ भगवान बहुत हैं,
मगर अब जिधर देखता हूँ शैतान बहुत हैं।
जिस भी बस्ती जाता हूँ घर ही नहीं मिलते,
थोड़े बहुत मकान हैं बाकी शमशान बहुत हैं।
दिल बहुत टूटा दोस्ती में भी प्यार में भी,
जुड़ने को जुड़ गया मगर जोड़ के निशान बहुत हैं।
माँगने को तो ऐ ख़ुदा मैं तुमसे ये जहाँ माँग लूँ ,
मगर कागज़-कलम पास रहने दे इतने एहसान बहुत हैं।