ज़िन्दगी बेवजह हुई है प्यार करते करते
मेरी हस्ती खत्म हुई है तुमपर मरते मरते,
खता बस इतनी हुई के इश्क़ किया
अपनी इज्जत गवाई है हमने इश्क़ करते करते,
दौलत के बिन अधूरी है मोहब्बत
समझ लेते गर इसे तो यूँ ना रोते,
कहाँ हो आंसुओं को मोती कहने वालो
मैं हो गया हूँ फ़कीर रोते रोते,
जागकर भी खो दिया है सबकुछ
देखना है क्या मिलेगा रोते रोते,
अब थक जाता हूँ बैठकर भी मैं
पहले रुकता न था छालों में चलते चलते,
इश्क़ करो तो सोच समझकर करना
वरना जीना पड़ेगा खुद को कोसते कोसते,
ज़िन्दगी बेवजह हुई है प्यार करते करते
मेरी हस्ती खत्म हुई है तुमपर मरते मरते |
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