Friday, 8 April 2016

ज़िन्दगी बेवजह हुई है प्यार करते करते


ज़िन्दगी बेवजह हुई है प्यार करते करते
मेरी हस्ती खत्म हुई है तुमपर मरते मरते
,
खता बस इतनी हुई के इश्क़ किया
अपनी इज्जत गवाई है हमने इश्क़ करते करते
,
दौलत के बिन अधूरी है मोहब्बत
समझ लेते गर इसे तो यूँ ना रोते
,
कहाँ हो आंसुओं को मोती कहने वालो
मैं हो गया हूँ फ़कीर रोते रोते
,
जागकर भी खो दिया है सबकुछ
देखना है क्या मिलेगा रोते रोते
,
अब थक जाता हूँ बैठकर भी मैं
पहले रुकता न था छालों में चलते चलते
,
इश्क़ करो तो सोच समझकर करना
वरना जीना पड़ेगा खुद को कोसते कोसते
,
ज़िन्दगी बेवजह हुई है प्यार करते करते
मेरी हस्ती खत्म हुई है तुमपर मरते मरते
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