Thursday, 5 May 2016

बस माटी का एक खिलौना है



कहते हैं जो लिख दिया कुदरत ने वो तो होना है,
आदमी तो बस माटी का एक खिलौना है।
वो चंद सिक्कों की ख़ातिर सियासी हो गए,
मेरे लिए तो मेरी माँ ही अनमोल ख़ज़ाना है।
वो बाप को कठोर दिल समझ के दूर रहे उनसे,
मैंने देखा है उनके दिल में भी एक ममता का कोना है।
जिसको भूख हो दौलत की वो जाए चाहे जिधर,
मुझको तो माँ-बाप ही चाँदी हैं सोना हैं।

“प्रवेश कुमार”

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1 comment:

  1. मुझे सिर्फ वक़्त गुज़ारने के लिए ना चाहा कर,
    मैं भी इंसान हूँ, मुझे भी तकलीफ़ होती है !!
    Hindi Shayari

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