Friday, 18 March 2016

क्योंकि भारत का नेता हूँ



जब प्यास लगती है तो अश्कों को पीता हूँ,
जब भूख लगती है तो मैं भूखा ही सोता हूँ
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मेरे मिटटी के घर में तड़प रहे हैं सब
मैं निश्चिंत हूँ क्योंकि भारत का नेता हूँ
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मैं घोडों से भी तेज़ दौड़ता हूँ पथरीली राहों में,
आँखें खुलती हैं तो मैं सपने में होता हूँ
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उन्होंने महफ़िल में जो गाया मैंने वाह वाह किया,
क्योंकि उनका दुश्मन भी हूँ और श्रोता भी हूँ
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Thursday, 17 March 2016

तो उनके लबों पे हँसीं ना रही



हमें चाहने वालों की कभी कमी ना रही,
कभी आसमां ना रहा कभी जमीं ना रही।
मैं दर्द छिपाकर मुस्कुराता रहा सदा ,
लोगों को शिकायत कि मेरी आँखों में नमी ना रही।
मेरी चाहते थे सलामती तो खुश रहते वो ,
मगर मैं हंसा तो उनके लबों पे हँसीं ना रही।
मेरे अंदाज अलग हैं और मैं इनही में खुश हूँ,
चाहे किसी को मुझसे शिकायत रही रही या ना रही

Sunday, 13 March 2016

किसको बोलूँ और बोलूँ क्यूँ



मेरे मन की बात है तुझ पे थोपूँ क्यूँ ,
मेरी जिम्मेदारी है ये तुझ को सोपूँ क्यूँ।
मैं जैसा भी हूँ ये तू जाने ये तेरा काम ,
मैं अपने बारे में खुद ही भोँकू क्यूँ।
बड़ी मुश्किल से पाया है भरोसा लोगों का ,
अब कौड़ियों की ख़ातिर मैं इसको खोदूँ क्यूँ।
ये जनसमुदाय बहरा है और खुदगर्ज भी है,
इसकी ख़ातिर किसको बोलूँ और बोलूँ क्यूँ।
ऊपरवाला करेगा इंसाफ हुकूमत के सँपोले का,
मैं साँप से खेलूँ क्यूँ मैं सपेरों से बोलूँ क्यूँ |