मयखाने में ना जाएँ
तो कहाँ जाए हम,
जाम ना पियें तो दर्दे-ए-दिल कैसे भुलाएँ हम,
जरा वो लोग भी जी कर देखले ज़िन्दगी मेरी
जो कहते हैं तुझको हुआ है क्या गम,
क्या करूँ भरोसा, कैसे करूँ ऐतबार
ऐ ज़िन्दगी तूने मुझको रुलाया ही है हरदम,
वफ़ा की चाहत थी मगर मिली मुझे बेवफाई
या ख़ुदा ना नसीब हो किसी को ऐसे सनम,
शराब भी गले से नहीं उतरती अब
मौत आ भी जा अब तू ना कर सितम,
बहूत जी चूका अब कल मर जाएगा ‘प्रवेश’
और भी देना चाहो तो आज दे लो गम
जाम ना पियें तो दर्दे-ए-दिल कैसे भुलाएँ हम,
जरा वो लोग भी जी कर देखले ज़िन्दगी मेरी
जो कहते हैं तुझको हुआ है क्या गम,
क्या करूँ भरोसा, कैसे करूँ ऐतबार
ऐ ज़िन्दगी तूने मुझको रुलाया ही है हरदम,
वफ़ा की चाहत थी मगर मिली मुझे बेवफाई
या ख़ुदा ना नसीब हो किसी को ऐसे सनम,
शराब भी गले से नहीं उतरती अब
मौत आ भी जा अब तू ना कर सितम,
बहूत जी चूका अब कल मर जाएगा ‘प्रवेश’
और भी देना चाहो तो आज दे लो गम
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