मेरे मन की बात है तुझ पे थोपूँ क्यूँ ,
मेरी जिम्मेदारी है ये तुझ को सोपूँ क्यूँ।
मैं जैसा भी हूँ ये तू जाने ये तेरा काम ,
मैं अपने बारे में खुद ही भोँकू क्यूँ।
बड़ी मुश्किल से पाया है भरोसा लोगों का ,
अब कौड़ियों की ख़ातिर मैं इसको खोदूँ क्यूँ।
ये जनसमुदाय बहरा है और खुदगर्ज भी है,
इसकी ख़ातिर किसको बोलूँ और बोलूँ क्यूँ।
ऊपरवाला करेगा इंसाफ हुकूमत के सँपोले का,
मैं साँप से खेलूँ क्यूँ मैं सपेरों से बोलूँ क्यूँ |
मेरी जिम्मेदारी है ये तुझ को सोपूँ क्यूँ।
मैं जैसा भी हूँ ये तू जाने ये तेरा काम ,
मैं अपने बारे में खुद ही भोँकू क्यूँ।
बड़ी मुश्किल से पाया है भरोसा लोगों का ,
अब कौड़ियों की ख़ातिर मैं इसको खोदूँ क्यूँ।
ये जनसमुदाय बहरा है और खुदगर्ज भी है,
इसकी ख़ातिर किसको बोलूँ और बोलूँ क्यूँ।
ऊपरवाला करेगा इंसाफ हुकूमत के सँपोले का,
मैं साँप से खेलूँ क्यूँ मैं सपेरों से बोलूँ क्यूँ |
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