अपने जब अपने नहीं,
ये दुनिया कहाँ अपनी होगी
रोते हैं हम मगर,
कौन हमें यहाँ आँचल देगी,
हम दोस्त थे कभी
आज दुश्मन हो गए हैं,
ऐसे हालात में अब
कहाँ हमें शांति होगी,
तानों से ना मारो मुझे,
जान से ही मार डालो मुझे,
धीरे धीरे से जान
निकलेगी तो तकलीफ होगी,
किसी का मैंने क्या बिगाड़ा
सबका भला ही सोचा था,
मुझे क्या मालूम था कलयुग में
भलाई करोगे और बुराई होगी |
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