Sunday, 10 January 2016

आज तुझको चुनना है रास्ता

हे मनुष्य चल मंजिल की और
यूँ बैठकर इंतजार करना
कौनसी अकल की बात है,
चल उठ बढ़ा कदम
ख्वाबों को बाँहों में भरके
नहीं तो एक जैसे दिन हैं
और एक जैसी रात है
एक और है आसान डगर
एक और कांटो भरा सफ़र
आज तुझको चुनना है रास्ता
कि कौन है तेरा हमसफ़र |


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