ज़िन्दगी दी किसी ने नाम किसी के करदी
हमने अपनी ज़िन्दगी खुद बर्बाद करली,
मोहब्बत को काम समझने वालों
मौजों में अपनी तुमने, कितनी ज़िन्दगी गुमनाम करदी,
खेलना है तो खुद से खलो
अपने खेल में मेरी ज़िन्दगी खेल करदी,
मेरी डूबी हुई कश्ती को किनारा ना मिला
ये मेरे नाम तूने कोनसी बस्ती कर दी,
मुर्दा हूँ जिंदा होते हुए भी मैं
मरकर भी हूँ जिंदा, ज़िन्दगी कमाल कर दी,
बडबडाते हुए तमाम उम्र गुजरी
दो लफ्ज़ ना बोल सका सुबह से शाम कर दी,
ज़िन्दगी दी किसी ने नाम किसी के करदी
हमने अपनी ज़िन्दगी खुद बर्बाद करली |
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