Thursday, 28 April 2016

ऐ मौत तुझसे नहीं हम डरने वाले



जीना चाहते हैं अब मरने वाले
क्या-क्या कर गए करने वाले
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ज़िन्दगी तो तुझसे भी बूरी है
ऐ मौत तुझसे नहीं हम डरने वाले
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रातों को तो कब का सोना छोड़ चुके
अब दिन भी ना रहे आराम से गुजरने वाले
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ऐ ख़ुदा क्या कहू तेरी खुदाई को
कर्जदार हो गए अच्छे कर्म करने वाले
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