मैं इंसान हूँ मुझे इंसान ही रहने दो,
ये दर्द है मेरा मुझे अकेले ही सहने दो,
सो रहा था जिन्दा लाशो में सदियों से,
आज उठा हूँ मुझे कुछ तो कहने दो
एक तीर सा चुभता रहता है सीने में,
मत छेड़ो उसे, ऐसे ही रहने दो
हर कोई खेलता है मेरे ज़ज्बातों से,
आज मेरा मन है मुझे भी खेलने दो
तुम लखपति सही अपने घर में हो,
मैं फ़कीर हूँ मुझे फ़कीर ही रहने दो.
मंदिर मस्जिदों में नहीं जाना मुझे,
मेरा भगवान् मेरे अंदर है उसे अंदर ही रहने दो
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