Friday, 11 March 2016

ख़ुदा मेरे हक में फैसला करदे


गरीब की गरीबी पर हँसने वाले ,
मर जाते हैं कभी-कभी डसने वाले।
 
दोगलों से दोस्ती में एहतियात बरतना ,
वो वक्त पर नहीं कभी काम आने वाले।
अमीरी रात सड़कों पे अधनंगी घूमती है,
यही कमाया तो क्या कमाया,कमाने वाले।
हाड मांस का पुतला बनाया जान डाल दी,
उसके बाद क्यों हमें भूल गया बनाने वाले।
अब भी वक्त है ख़ुदा मेरे हक में फैसला करदे ,
बाद में हम नही तेरे कहने से कहीं भी जाने वाले।

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