परेशान दिल मेरा
फिरे मारा मारा
मैं हूँ आवारा या दिल मेरा है आवारा,
कुछ दिनों से गुमसुम सा रहता हूँ
जब से छुटा है एक दामन का सहारा,
बीच दरिया में हूँ, दूर साहिलों से हूँ
अब नसीब में नहीं है मेरे किनारा,
नाजुक दिल इंसान है “प्रवेश”
कैसे जियेगा अब अकेला ये बेचारा |
मैं हूँ आवारा या दिल मेरा है आवारा,
कुछ दिनों से गुमसुम सा रहता हूँ
जब से छुटा है एक दामन का सहारा,
बीच दरिया में हूँ, दूर साहिलों से हूँ
अब नसीब में नहीं है मेरे किनारा,
नाजुक दिल इंसान है “प्रवेश”
कैसे जियेगा अब अकेला ये बेचारा |
No comments:
Post a Comment