आँखों में एक अब ख्वाब रहता है
मेरा कातिल अब बेनकाब रहता है,
उधार की हो गई है ज़िन्दगी भी
दिल भी धडकनों का हिसाब रखता है,
बेवफ़ा से जाकर कहदो कोई
‘प्रवेश’ अब भी प्यार बेशुमार करता है,
माना उन्हें जख्म देने का शौक है
मगर ये शख्स दर्दे-दिल की दवा रखता है,
सूख गए हैं सूरज से समंदर भी
मगर आँखों से पानी बहता रहता है,
खामोश रहता है अब दिन भर वो
मगर रात भर तेरा नाम लेता रहता है |
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