मैं खुदपर आज एक
एहसान कर रहा हूँ
खुद को अपने दुश्मन के घर मेहमान कर रहा हूँ,
मुझे धर्म-जाति से फर्क नहीं पड़ता
हिन्दू हूँ फिर भी कुरआन पढ़ रहा हूँ,
मेरी लाश पर आकर आंसू मत बहाना
मैं खुद ही अपना कत्ले-आम कर रहा हूँ,
न जलाना मुझको न ही दफनाना मुझको
मरने से पहले बस यही फरमान कर रहा हूँ |
खुद को अपने दुश्मन के घर मेहमान कर रहा हूँ,
मुझे धर्म-जाति से फर्क नहीं पड़ता
हिन्दू हूँ फिर भी कुरआन पढ़ रहा हूँ,
मेरी लाश पर आकर आंसू मत बहाना
मैं खुद ही अपना कत्ले-आम कर रहा हूँ,
न जलाना मुझको न ही दफनाना मुझको
मरने से पहले बस यही फरमान कर रहा हूँ |
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