Tuesday, 16 February 2016

बस यही फरमान कर रहा हूँ



मैं खुदपर आज एक एहसान कर रहा हूँ
खुद को अपने दुश्मन के घर मेहमान कर रहा हूँ
,
मुझे धर्म-जाति से फर्क नहीं पड़ता
हिन्दू हूँ फिर भी कुरआन पढ़ रहा हूँ
,
मेरी लाश पर आकर आंसू मत बहाना
मैं खुद ही अपना कत्ले-आम कर रहा हूँ
,
न जलाना मुझको न ही दफनाना मुझको
मरने से पहले बस यही फरमान कर रहा हूँ
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