मैं सुबह उठा आज देर से
खुद को कुछ बिखरा पाया,
नया था सबकुछ या वही था,
कुछ न कुछ तो जरुर हुआ था,
मैं बेकार ही उदास ना था
कुछ भी मेरे पास ना था |
हैरत हुई मुझे खुदपर
दिमाग भी खाली
जेब भी खाली
दिल में बस थोडा कोलाहल था
अजीब सा शौर था
आज मैं, मैं ना था
शायद कुछ और था
सबकुछ मुझे लगा था
जैसे पहली बार है देखा,
या अबतक देखकर भी
कर रहा था अनदेखा
दुनिया में कितना दुःख है
उसमे भी गरीब को सूख है,
ये तो अमीर की समस्या है
जेब भरी है दिल खाली है,
हर कोई पैसे का रखवाली है
ज्यादा की सबको ही चाहत है
जितना है उसमे कहाँ संतुष्ट है
सब कहते हैं नेता भ्रष्ट है
इसलिए जनता को कष्ट है
आज देखा मैंने एक और सच है
कुदरत के कानून में भी
यहाँ होता अन्याय है,
मेहनत को हराकर किस्मत
यहाँ अपने पैर जमाये है
अच्छी किस्मत वाले को
मेहनत की ज़रूरत नहीं,
मेहनत करने वाला यहाँ
किस्मत को तरसता है
सूखे खेत अम्बर और
मुँह उठाये खड़े हैं,
पर पानी तो हमेशा
मिट्टी के मकानों पर बरसता है
कोई मेहनत करता मर जाता
पर हासिल कुछ ना होता,
आंधी, तूफ़ान में गरीब ही मरता
महलों में कुछ ना होता
लायक होते हुए भी कोई
नालायक ही समझा जाता है,
अमीर का चोर बेटा भी
इज्जत से नवाजा जाता है |
जब उपरवाले ने ही भेदभाव किया है
तो नेताओं का क्या दोष है,
बेचारी जनता बेवजह लड़ती
मुझे तो बस इतना सा अफ़सोस है
बहु बेटियाँ सबकी एक बराबर
ये यहाँ कोई नहीं मानता
कौनसा नशा है कि इंसान यहाँ
अपनों को भी नहीं पहचानता |
ऊँच-नीच और धर्म-जाति
के नाम पर अपना देश बट गया,
हिन्दू को खून चाहिए था
देखो मुस्लिम पीछे हट गया |
एक जैसा है सबका शरीर
खून का रंग है सबका लाल,
शरीर ही है शरीर का दुश्मन
देखो इंसानियत का कमाल
पापियों को मिटने धरती पर
हमेशा भगवान् आयें हैं
कलयुग में राम रहीम सब चुप हैं
ये उपरवाले का अन्याय है
खुद को कुछ बिखरा पाया,
नया था सबकुछ या वही था,
कुछ न कुछ तो जरुर हुआ था,
मैं बेकार ही उदास ना था
कुछ भी मेरे पास ना था |
हैरत हुई मुझे खुदपर
दिमाग भी खाली
जेब भी खाली
दिल में बस थोडा कोलाहल था
अजीब सा शौर था
आज मैं, मैं ना था
शायद कुछ और था
सबकुछ मुझे लगा था
जैसे पहली बार है देखा,
या अबतक देखकर भी
कर रहा था अनदेखा
दुनिया में कितना दुःख है
उसमे भी गरीब को सूख है,
ये तो अमीर की समस्या है
जेब भरी है दिल खाली है,
हर कोई पैसे का रखवाली है
ज्यादा की सबको ही चाहत है
जितना है उसमे कहाँ संतुष्ट है
सब कहते हैं नेता भ्रष्ट है
इसलिए जनता को कष्ट है
आज देखा मैंने एक और सच है
कुदरत के कानून में भी
यहाँ होता अन्याय है,
मेहनत को हराकर किस्मत
यहाँ अपने पैर जमाये है
अच्छी किस्मत वाले को
मेहनत की ज़रूरत नहीं,
मेहनत करने वाला यहाँ
किस्मत को तरसता है
सूखे खेत अम्बर और
मुँह उठाये खड़े हैं,
पर पानी तो हमेशा
मिट्टी के मकानों पर बरसता है
कोई मेहनत करता मर जाता
पर हासिल कुछ ना होता,
आंधी, तूफ़ान में गरीब ही मरता
महलों में कुछ ना होता
लायक होते हुए भी कोई
नालायक ही समझा जाता है,
अमीर का चोर बेटा भी
इज्जत से नवाजा जाता है |
जब उपरवाले ने ही भेदभाव किया है
तो नेताओं का क्या दोष है,
बेचारी जनता बेवजह लड़ती
मुझे तो बस इतना सा अफ़सोस है
बहु बेटियाँ सबकी एक बराबर
ये यहाँ कोई नहीं मानता
कौनसा नशा है कि इंसान यहाँ
अपनों को भी नहीं पहचानता |
ऊँच-नीच और धर्म-जाति
के नाम पर अपना देश बट गया,
हिन्दू को खून चाहिए था
देखो मुस्लिम पीछे हट गया |
एक जैसा है सबका शरीर
खून का रंग है सबका लाल,
शरीर ही है शरीर का दुश्मन
देखो इंसानियत का कमाल
पापियों को मिटने धरती पर
हमेशा भगवान् आयें हैं
कलयुग में राम रहीम सब चुप हैं
ये उपरवाले का अन्याय है
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