किताब और दारु में हो गई लड़ाई
दोनों कहती हैं, नौजवान सब है मेरे भाई,
किताब ने दारु को ललकारा
बीच बाज़ार लोगों को पुकारा,
चारों और लोग हो गए इकठ्ठा
किताब और दारु पर लगने लग गया सट्टा
किताब बोली...................
मैं लोगों को ज्ञान हूँ देती,
संसार में लोगों को सम्मान दिलाती,
मेरी शरण में जो भी आता,
ज़िन्दगी भर मैं उसका साथ निभाती
दारु बोली.....................
तुझसे तंग आकर सब मेरे पास ही आते हैं
मुझे गले लगाकर अपने सारे गम भूलाते हैं
बेशक मेरा साथ हो कुछ पल का लेकिन
मेरा साथ पाकर सब झूमते और गाते हैं
किताब बोली...................
तेरा साथ पाकर सब शर्म-हया खो देते हैं
तेरा साथ छुटता है तो खुद पर ही रो देते हैं
तेरे साथ सब मेरे शब्द ही गाते हैं, ये सोच
कि तेरे साथ होकर भी कहाँ मुझे छोड़ पाते हैं
सदियों से मैं सबका साथ निभाती आई हूँ,
जो भी भटका है उसको राह दिखाती आई हूँ
तूने तो लोगों को उजाड़ा और रुलाया है
मैंने तो रोते हुए को हँसना सिखाया है
दारु और किताब में जंग अभी भी जारी है
किसको है जिताना ये जिम्मेदारी हमारी है
जो चुनेगा सही रास्ता मंजिल को पा जायेगा
वरना तो संसार में ही चक्कर खायेगा
दारु पीने वाला तो खोता है और रोता है
वक़्त से पहले ज़िन्दगी से हाथ धोता है
किताबों में छुपे ज्ञान को जिसने ना पाया,
वो सच्चे अर्थों में कहाँ इंसान होता है,
कोई बढ़ा न पाया एक कदम भी
कोई पहुँच गया हिमालय,
आपको जाना है कहाँ आपको तय करना है,
एक ओर है मदिरालय एक ओर पुस्तकालय
दोनों कहती हैं, नौजवान सब है मेरे भाई,
किताब ने दारु को ललकारा
बीच बाज़ार लोगों को पुकारा,
चारों और लोग हो गए इकठ्ठा
किताब और दारु पर लगने लग गया सट्टा
किताब बोली...................
मैं लोगों को ज्ञान हूँ देती,
संसार में लोगों को सम्मान दिलाती,
मेरी शरण में जो भी आता,
ज़िन्दगी भर मैं उसका साथ निभाती
दारु बोली.....................
तुझसे तंग आकर सब मेरे पास ही आते हैं
मुझे गले लगाकर अपने सारे गम भूलाते हैं
बेशक मेरा साथ हो कुछ पल का लेकिन
मेरा साथ पाकर सब झूमते और गाते हैं
किताब बोली...................
तेरा साथ पाकर सब शर्म-हया खो देते हैं
तेरा साथ छुटता है तो खुद पर ही रो देते हैं
तेरे साथ सब मेरे शब्द ही गाते हैं, ये सोच
कि तेरे साथ होकर भी कहाँ मुझे छोड़ पाते हैं
सदियों से मैं सबका साथ निभाती आई हूँ,
जो भी भटका है उसको राह दिखाती आई हूँ
तूने तो लोगों को उजाड़ा और रुलाया है
मैंने तो रोते हुए को हँसना सिखाया है
दारु और किताब में जंग अभी भी जारी है
किसको है जिताना ये जिम्मेदारी हमारी है
जो चुनेगा सही रास्ता मंजिल को पा जायेगा
वरना तो संसार में ही चक्कर खायेगा
दारु पीने वाला तो खोता है और रोता है
वक़्त से पहले ज़िन्दगी से हाथ धोता है
किताबों में छुपे ज्ञान को जिसने ना पाया,
वो सच्चे अर्थों में कहाँ इंसान होता है,
कोई बढ़ा न पाया एक कदम भी
कोई पहुँच गया हिमालय,
आपको जाना है कहाँ आपको तय करना है,
एक ओर है मदिरालय एक ओर पुस्तकालय
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