ज़िन्दगी का एक एक पल
बोझ भारी है,
गरीबी, भूख की लडाई अभी तक जारी है,
खून पसीना बहाकर भी घर खाली है,
सेठों की तिजौरी में गाढ़ी कमाई हमारी है
पड़े लिखो को बेरोजगार देखा तो समझ आया,
भीख मांगना भी इन भीखमंगो की लाचारी है
इमानदारी, विनम्रता से चलते-चलते भूखे मर गए,
पेट निकल गए उनके जो भी अत्याचारी हैं
नेता ने एलान किया हम समृद्धि की राह पर हैं,
पर यहाँ तो गली गली में बेकारी है
अब दर दर ठोकर खाकर सीख गया ‘प्रवेश’,
सच, ईमान, ज़मीर, ये सब भी बीमारी है
गरीबी, भूख की लडाई अभी तक जारी है,
खून पसीना बहाकर भी घर खाली है,
सेठों की तिजौरी में गाढ़ी कमाई हमारी है
पड़े लिखो को बेरोजगार देखा तो समझ आया,
भीख मांगना भी इन भीखमंगो की लाचारी है
इमानदारी, विनम्रता से चलते-चलते भूखे मर गए,
पेट निकल गए उनके जो भी अत्याचारी हैं
नेता ने एलान किया हम समृद्धि की राह पर हैं,
पर यहाँ तो गली गली में बेकारी है
अब दर दर ठोकर खाकर सीख गया ‘प्रवेश’,
सच, ईमान, ज़मीर, ये सब भी बीमारी है
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