दर्द बढ़कर दिल का हद से पार हो गया,
सितमगर जीना मेरा अब तो दुश्वार हो गया
रहती है शिकायत मुझे अब खुद से इतनी,
क्यूँ मैंने कभी किसी से प्यार किया
गम-ऐ-आलम में डूबा रहता हूँ इस कदर,
दर्द का एक सिलसिला अब दिल में रह गया
मैं तो बेख़बर सा रहता हूँ अपने हालात से,
लोग कहते हैं ‘प्रवेश’ अब मेयख्वार हो गया
सितमगर जीना मेरा अब तो दुश्वार हो गया
रहती है शिकायत मुझे अब खुद से इतनी,
क्यूँ मैंने कभी किसी से प्यार किया
गम-ऐ-आलम में डूबा रहता हूँ इस कदर,
दर्द का एक सिलसिला अब दिल में रह गया
मैं तो बेख़बर सा रहता हूँ अपने हालात से,
लोग कहते हैं ‘प्रवेश’ अब मेयख्वार हो गया
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