Thursday, 26 November 2015

ये इच्छा है मेरे माँ-बाप की

देख कर जिसको भड़के शोले
दिल में दहके अँगारे,
दुश्मन का नामो निशां मिटा दे
ना कभी किसी से हारे
ये है वर्दी एक जवान की..
मैं भी कभी ये वर्दी पहनूं
ये इच्छा है मेरे माँ-बाप की
पापा है मेरे फ़ौज में,
सब कहते है मैं हूँ मौज में,
कोई क्या मुझको जानेगा,
दिल की हालत पहचानेगा
हम भी चाहते है वर्दी आन की
मैं भी कभी ये वर्दी पहनूं
ये इच्छा है मेरे माँ-बाप की
गम में आंसू बहाते हैं सब
कौन खुशियों में रोता है,
अच्छी किस्मत जिसकी होती
वतन के लिए वो ही मरता है
हम भी चाहते हैं मौत शान की..
मैं भी कभी ये वर्दी पहनूं
ये इच्छा है मेरे माँ-बाप की


Parvesh Kumar

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