सीधे रास्तों पर जब जब ठोकर खायी है,
ऐ ज़िन्दगी तब तब हमे तू लगी परायी है.
इश्क़ को समझा खुशियों का सागर मैंने,
इश्क़ किया तो जाना ये तो गहरी खायी है.
बाहर निकल कर मयखाने से देखा तो ,
ये मेरे संग चल रही किसकी परछाई है.
मुझको ठुकराओ या अपनाओ तेरी मर्जी है,
मुझमे बहूत बुराई सही पर कुछ अच्छाई है.
सुना था दवा से बढ़कर दुआ में है असर बहूत,
दुआ भी बेकार हुई अब मेरी क्या दवाई है.
हैरत की बात है कि यहाँ इंसान नहीं कोई,
कोई हिन्दू कोई मुस्लिम कोई सिख कोई ईसाई है,
सारी बस्ती छोड़ मेरे घर में सिर्फ आग लगी,
किसको दूं दोष पड़ोस में सब ही मेरे भाई हैं.
छोड़ चला ये बस्ती ये देश “प्रवेश”,
इन सबसे दूर जाने में ही भलाई है
Parvesh Kumar PK
ऐ ज़िन्दगी तब तब हमे तू लगी परायी है.
इश्क़ को समझा खुशियों का सागर मैंने,
इश्क़ किया तो जाना ये तो गहरी खायी है.
बाहर निकल कर मयखाने से देखा तो ,
ये मेरे संग चल रही किसकी परछाई है.
मुझको ठुकराओ या अपनाओ तेरी मर्जी है,
मुझमे बहूत बुराई सही पर कुछ अच्छाई है.
सुना था दवा से बढ़कर दुआ में है असर बहूत,
दुआ भी बेकार हुई अब मेरी क्या दवाई है.
हैरत की बात है कि यहाँ इंसान नहीं कोई,
कोई हिन्दू कोई मुस्लिम कोई सिख कोई ईसाई है,
सारी बस्ती छोड़ मेरे घर में सिर्फ आग लगी,
किसको दूं दोष पड़ोस में सब ही मेरे भाई हैं.
छोड़ चला ये बस्ती ये देश “प्रवेश”,
इन सबसे दूर जाने में ही भलाई है
Parvesh Kumar PK
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