यौवन में कली जब खिल जाती है,
तब जाकर फूलों से मिल पाती है,
कलियों की जवानी का आगाज़ होता है,
ये ही फूलों की खुशबू का राज़ होता है.
क्या-क्या खेल खेले चमन में,
कली के आकार से सभी बयाँ होता है.
पहले कली की खुशबू चुराई जाती है.
फिर उसके रस को चूसा जाता है.
पहली कली को छोड़ अकेला,
फूल दूसरी कली को जाता है.
फूल का कुछ नहीं बिगड़ता
कली का दुश्मन ज़माना हो जाता है
Parvesh Kumar
तब जाकर फूलों से मिल पाती है,
कलियों की जवानी का आगाज़ होता है,
ये ही फूलों की खुशबू का राज़ होता है.
क्या-क्या खेल खेले चमन में,
कली के आकार से सभी बयाँ होता है.
पहले कली की खुशबू चुराई जाती है.
फिर उसके रस को चूसा जाता है.
पहली कली को छोड़ अकेला,
फूल दूसरी कली को जाता है.
फूल का कुछ नहीं बिगड़ता
कली का दुश्मन ज़माना हो जाता है
Parvesh Kumar
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