Friday, 20 November 2015

सुख दुःख किस्मत के संगी साथी

साथी रूठा दिल भी हमारा टूट गया ,
साथ था जो सदियों से वो भी छूट गया
ख़त्म हुई इन्तहा अब इश्क़ की,

दिल जो था प्यार का सागर सूख गया
सुख दुःख किस्मत के संगी साथी,
हमसे तो ख़ुदा भी हमारा रूठ गया,
पकडे हुए थे दामन खुशियों का कब से,
आया हवा का झोंका दामन 
छूट गया,
हुई है ख़ता मंजिल भी खफ़ा है ,
किस्मत किस्मत कहते था साथ उसका छूट गया,
इस दौराही ज़िन्दगी को अब कैसे जियूँ ,
न कहना ऐ ज़िन्दगी क्यूँ तू हमसे रूठ गया
Parvesh Kumar 

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