कटते-कटते ही कटती
हैं तुझसे बिछड़ के रातें,
नींद आएगी जिस दिन करूँगा तुमसे ख्वाब में बातें,
जिंदगी मुझे मेरी यूँ बोझ नहीं लगती,
गर तुम मुझे जुदाई की जायज़ कोई वजह बताते
तेरी बेवफाई के किस्से अब सुनने में आते हैं,
पहले पता चल जाता तो हम दिल ना लगते
मयखानों में अब हमारी रात गुजरती है,
दिनभर बेहोश रहते हैं हम होश में नहीं आते
हुस्ने-इश्क़ नीलम करने में मजा क्या है? “प्रवेश”
पूछूँगा उनसे गर नसीब हुई कभी मुलाकातें
नींद आएगी जिस दिन करूँगा तुमसे ख्वाब में बातें,
जिंदगी मुझे मेरी यूँ बोझ नहीं लगती,
गर तुम मुझे जुदाई की जायज़ कोई वजह बताते
तेरी बेवफाई के किस्से अब सुनने में आते हैं,
पहले पता चल जाता तो हम दिल ना लगते
मयखानों में अब हमारी रात गुजरती है,
दिनभर बेहोश रहते हैं हम होश में नहीं आते
हुस्ने-इश्क़ नीलम करने में मजा क्या है? “प्रवेश”
पूछूँगा उनसे गर नसीब हुई कभी मुलाकातें
Parvesh Kumar
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