तुम किसी बुरी लत की तरह हो
तुम्हे पता है ? तुम बहुत बुरी हो, किसी बुरी लत की तरह |
ना...ना, शराब नहीं, उससे भी बुरी लत | अगर मुझे पहले पता होता तुम्हारी लत इतनी
बुरी होगी, तो कसम से, मैं कभी तुम्हारे पास से भी नहीं गुजरता | तुम्हे देखते ही
रास्ता बदल लेता | लेकिन बचना मेरी किस्मत में शायद लिखा ही नहीं था | हाँ, हाँ,
कह लो जो किया मैंने ही किया | यही तो तुम्हारी खासियत है, सबकुछ करके भी साफ़ बच
निकलती हो | वो वक़्त अलग था जब तुम्हारी गलतियाँ अपने सिर लेना अच्छा लगता था |
लेकिन अब मिल जाओ तो तुम्हे अपने हाथों से मार डालूँ और फ़िर खूब रोऊँ | ना, नहीं
रोऊंगा, और अगर रोऊंगा भी तो मैं तुम्हे क्यों बता रहा हूँ ?
याद है, जब पहली बार तुम्हारे कमरे पर आया तो तुमने क्या मस्त
खाना बनाया था | उस दिन तुम चावल भी बासमती ‘पैकेट वाले’ लायी थी | क्या पनीर
बनाया था ! बिलकुल वैसे ही जैसे बकरे को हलाल करने से पहले खिलाया जाता है | और
नहीं तो क्या, बाद में भूल गयी जब शरारत करते वक़्त तुमने मेरी गर्दन पर नाख़ून मार
दिए थे | जब वहाँ से खून निकलने लगा तो, तुमने अपने होंठों से मेरी गर्दन को चूम
लिया था |
बस उसी दिन से मेरे खून में तुम्हारा नशा मिल गया और मेरे शरीर
में दौड़ने लगा | मेरे पूरे शरीर से तुम्हारी खुशबू आती है | तभी तो मुझे तुम्हारी
लत लगी थी | तुम सच में कोई जादूगरनी हो, दूसरी दुनिया की शायद |
मैं आज भी तुम्हे सोचता हूँ, तुम्हे याद करता हूँ मुझे पता है ये
तुम भी जानती हो, क्योंकि इधर मैं अपनी कलम से कुछ लिखता हूँ उधर ये हवाएं तुम्हे
सब बता देती हैं | हो तो तुम जादूगरनी ही | लेकिन ज्यादा इतराओ मत | जल्दी ही मैं
तुम्हे भुला दूँगा | मैं क्यों तड़पता रहूँ, छोड़कर तो तुम गयी थी, तुम ही तो चाहती
थी कि मैं तुम्हारी शर्तों पे जियूं | तुम्हारी गलती है तुमने आसमान को मुठ्ठी में
बांधना चाहा, समुंद्र को समेटना चाहा |
सोचता हूँ अपनी नस काट दूँ, और बहने दूँ खून को, के जब तक
तुम्हारा नशा ना बह जाए, के जब तक तुम्हारी खुशबू है, के जब तक तुम्हारी लत है |
लेकिन मुझे जीना है क्योंकि पहले तुम्हे जाना पड़ेगा | तुम्हे जाना ही पड़ेगा, ताकि
मैं किसी और का हो सकूँ, ताकि मैं चैन से मरने की हिम्मत कर सकूँ, ताकि मैं थोड़ा
और जी सकूँ | मैंने कोशिश भी शुरू कर दी है, जीने की | सच, मेरी एक प्रेमिका है,
तुमसे खूबसूरत तुमसे अच्छी, और उसकी कोई शर्त भी नहीं है बस उसमे तुम्हारे जितना
नशा नहीं है | लेकिन मुझमे है ना नशा, तुम्हारा ही सही |
खैर, अभी तुम मरना मत, तुम्हे मेरी और उसकी शादी देखनी है, उसके
बाद जो मर्जी करना | मेरी कलम में स्याही ख़त्म होने वाली है | मैं चलता हूँ, मुझे
अपनी प्रेमिका को पत्र लिखना है | प्लीज तुम अभी मरना मत |
Writer – Parvesh Kumar
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