सीधी सी इस ज़िन्दगी के टेढ़े मेढे रास्ते
ऐ ख़ुदा क्या है बस ये मेरे ही वास्ते,
झूठे लगने लग गए अब सनम के रास्ते
अब जिंदा हूँ मैं ऐ ‘कलम’ बस तेरे ही वास्ते
क्या कमी है मुझमे जो मिलती नहीं मंजिल
हर आज गुजर जाता है बनकर मेरा कल,
कोई कहता है रहने दे कोई कहता है चल
कोई कहे मुझे सयाना कोई कहे बेअकल
क्यूँ दी है ख़ुदा ने मुझे ज़िन्दगी
है नहीं जब यहाँ किसी के पास बंदगी,
मैं हूँ बेकार या दुनिया में है गन्दगी
पूछूँगा ख़ुदा से गर मुलाकात हो गई कभी
मेरी दुनिया है अलग मैं अकेला हूँ यहाँ
सब रास्तों से जुदा है मेरी मंजिल के रास्ते,
मारने से भी मैं ना मरूँगा यहाँ
क्यूंकि जिंदा हूँ मैं अब बस कलम के वास्ते
Parvesh Kumar
ऐ ख़ुदा क्या है बस ये मेरे ही वास्ते,
झूठे लगने लग गए अब सनम के रास्ते
अब जिंदा हूँ मैं ऐ ‘कलम’ बस तेरे ही वास्ते
क्या कमी है मुझमे जो मिलती नहीं मंजिल
हर आज गुजर जाता है बनकर मेरा कल,
कोई कहता है रहने दे कोई कहता है चल
कोई कहे मुझे सयाना कोई कहे बेअकल
क्यूँ दी है ख़ुदा ने मुझे ज़िन्दगी
है नहीं जब यहाँ किसी के पास बंदगी,
मैं हूँ बेकार या दुनिया में है गन्दगी
पूछूँगा ख़ुदा से गर मुलाकात हो गई कभी
मेरी दुनिया है अलग मैं अकेला हूँ यहाँ
सब रास्तों से जुदा है मेरी मंजिल के रास्ते,
मारने से भी मैं ना मरूँगा यहाँ
क्यूंकि जिंदा हूँ मैं अब बस कलम के वास्ते
Parvesh Kumar
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