Tuesday, 10 November 2015

कभी वो मेरी होती है कभी हम उनके होते हैं


वैसे तो लड़के बहूत कम रोते हैं,
मगर ये भी रोते हैं जब गम होते हैं.
रात में बारिश देखना हो, आना मेरे दर पे,
यहाँ सारी रात आँखों में आंसू होते हैं,
खूली आँखों से भी देखता हूँ सपने उसके ,
इसीलिए रातों में भी हम कम सोते हैं ,
आएगी हर सुबह मंजिल की खुशबू लेकर,
नींद नहीं आती अब सिर्फ इंतजार होते हैं .
मिल जाएँ उसे ज़माने भर की खुशियाँ ,
बस अब तो हर वक़्त यही दुआ करते हैं,
जबसे खायी है कसम उसने तूफानों से लड़ने की ,
तब से हम हर तूफानों में दिया जलाते हैं.
जब दिये की लौ लडती है हवाओं से,
कभी वो मेरी होती है कभी हम उनके होते हैं


Parvesh Kumar 

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