Tuesday, 17 November 2015

कौन किसी से करेगा मोहब्बत

बात बात पर फांसी खाना
युवाओं की आदत हो गई है,
मुजरिमों को कोर्ट में
सरे-आम जमानत हो रही है
अब तो शरीफों को भी
बदमाशों की ज़रूरत हो रही है
नफरत की इस दुनिया में
मोहब्बत भी जलालत हो गई है
लड़ाई झगडे और ख़ुदकुशी देखकर
कौन किसी से करेगा मोहब्बत,
हर कोई चाहेगा रहना अकेला
अन्दर ही घुट जायेंगे जज्बात
सबकी उम्र हो जाएगी छोटी
सबको लेने आएगी काली रात,
हर टुकड़ा धरती का होगा सुनसान
न होगा कोई धर्म न होगी कोई जात,
लैला मजनूं, हीर और रांझा
सब हो गई अब पुरानी बात
अब तो जगह-जगह पर
लैला मजनुओं की शहादत हो रही है,
बात बात फार फांसी खाना
युवाओं की आदत हो गई है


Parvesh Kumar 

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